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सूरज की उत्पत्ति & गुरुत्वाकर्षण बल, परिक्रमा-Origin of the Sun Hindi | Gurugrah.in





सूरज की उत्पत्ति & गुरुत्वाकर्षण बल, परिक्रमा-Origin of the Sun Hindi | Gurugrah

सूरज की उत्पत्ति कब और कैसे हुई

हमारी धरती पर आग हवा पानी जो भी है वह सब सूरज की देन है बिना सूर्य के धरती पर जीवन की कल्पना करना मुश्किल है । सूरज हमें खाना गर्मी और रोशनी देता है । पेड़ पौधे इसी रोशनी से अपना खाना बनाते हैं सूरत की वजह से ही हमारी धरती पर पानी ठोस, द्रव और गैस के रूप में मिलता यह धरती के जलवायु और मौसम को प्रभावित करता है । इसकी वजह से ही दिन और रात होते दोस्तों अगर सूरज ना होता तो हमारी धरती बिल्कुल, ठंडी और अंधेरी होती ।


सूरज हमारे लिए एक वरदान से कम नहीं है, लेकिन यह वरदान ही एक दिन हमारी धरती के विनाश का कारण बनेगा और यह विनाश कब होगा और सूरज ऐसे वो क्या रहस्य है जो हम नहीं जानते जानेंगे इस आर्टिकल के माध्यम से ।


सूरज हमारी पृथ्वी पर जीवन का आधार है वैसे तो सूरज के बारे में हम सभी थोड़ा बहुत जानते हैं । लेकिन सूरज कैसे बना ये ऊर्जा कैसे पैदा करता है इसका क्या रहस्य है और इसका अंत कैसे होगा । जानेंगे कुछ ऐसी ही बातें ।


सूरज की उत्पत्ति कैसे हुआ -

सूरज के जन्म के बारे में बहुत से वैज्ञानिकों ने अपनी अपनी अलग- अलग थ्योरी दी है । लेकिन सूरज कैसे बना इसके लिए सबसे पुरानी और ऐसेप्टेबल थ्योरी सन 1755 ईस्वी में जर्मन दास ने कैंट में दी जिसे नेब्युलर थ्योरी या नेबुलर हाइपोथेसिस के नाम से जानते हैं इस थ्योरी के मुताबिक हमारे सौरमंडल और सूर्य का निर्माण नेबुला मेटेरियल से हुआ है । नेबूला ब्रह्मांड में धूल और गैसों का एक बादल होता है जिसमें हाइड्रोजन सबसे अधिक होती है


सूरज के अंदर क्या है? -

धरती की तरह सूर्य ठोस नहीं है यह सारा का सारा गेसो और प्लाज्मा का बना हुआ है । सूर्य के अंदर हाइड्रोजन 74, हीलियम 24 बाकी दो परसेंट में लोहा, निखिल, ऑक्सीजन, सिल्कन, सल्फर, मैग्नीशियम, कार्बोनेट कैल्शियम और नियोन जैसे तत्व मौजूद है ।


दोस्तों हमने बचपन में पदार्थ की तीन अवस्थाओं के बारे में जरूर पढ़ा होगा जो ठोस, द्रव और गैस होती है इनके अलावा प्लाज्मा भी पदार्थ कि एक अवस्था होती है जिसके गुण ठोस, द्रव और गैस से एकदम भिन्न होते हैं, ईसका कोई आकार या वॉल्यूम फिक्स नहीं होता । गैस के विपरीत किसी चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव में यह एक प्लेमेंट या दोहरी परत जैसी संरचनाओं का निर्माण करता है । दोस्तों सूरज की मजबूत गुरुत्वाकर्षण शक्ति सौरमंडल में विभिन्न कक्षाओं में घूमते हुए पृथ्वी सहित अन्य ग्रह को इसकी तरफ कीचके रखती है ।


सूर्य किसकी परिक्रमा करता है -

जिस प्रकार पृथ्वी और अन्य ग्रह सूरज की परिक्रमा करते हैं उसी प्रकार सूरज हमारी आकाशगंगा की परिक्रमा करता है । ये हमारी मिल्की वे आकाशगंगा के केंद्र में लगभग 30000 प्रकाश वर्ष दूर एक कोने पर स्त्तित है । सूरज हमारी आकाशगंगा के केंद्र के चारों ओर 251 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से परिक्रमा करता है । इसको परिक्रमा करने में 22 से 25 करोड़ लग जाते हैं ।


सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल कितना है

सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल धरती से 28 गुना ज्यादा है । मतलब अगर धरती थी पर आपका वजन 50 किलोग्राम है तो सूरज पर आपका वजन 1400 किलोग्राम होगा । अगर मान लें कि सूर्य की चमक एक दिन धरती पर ना पहुंचे तो धरती कुछ ही घंटों में बर्फीले पहाड़ों से पूरी तरह जम जाएगी और बर्फ के ढेर में तब्दील हो जाएगी ।


हमारा सूर्य सौरमंडल की कुल द्रव्यमान का लगभग99.86 समाई हुई है बाकी केबल1.4 में ही धरती और अन्य ग्रह आते हैं । दोस्तों हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह और 166 उपग्रह है । इसके अलावा बहुत सारे बौने ग्रह, उपग्रह और ढेर सारी उल्कापिंड है । फिर भी इन सब को अगर जोड़ दिया जाए तो यह सूर्य के आगे कुछ भी नहीं ।


सूरज को ऊर्जा कहां से मिलती है -

अन्य तारों की तरह ही सूर्य मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का बना एक विशाल गोला है । सूर्य ऊर्जा अपने केंद्र में ही पैदा करता है इस प्रक्रिया को नाभिकीय संलयन कहा जाता है इस ऊर्जा को सतह तक आने में लाखो वर्ष लग जाते हैं । सूर्य से निकली ऊर्जा का 2 अरब वा हिस्सा ही पृथ्वी तक पहुंचता पाता है जिसमें से 15 अंतरिक्ष में परावर्तित हो जाती बाकी बची ऊर्जा में से 30 पानी को भाप बनाने में काम आती है और बहोत सी ऊर्जा पेड़- पौधों और समुद्र के द्वारा सोख ली जाती है ।


सूर्य का अंत कब होगा

दोस्तों, सूर्य आज अपने जीवन के करीब आधे पड़ाव पर है इसमें अभी तक कुछ परिवर्तन नहीं हुआ है और आगे भी कई वर्षों तक यह ऐसा ही बना रहेगा । विज्ञानिको के अनुसार सूर्य की उम्र लगभग 10 बिलियन वर्ष है । पिछले करीब साढे 4 अरब वर्षों में सूर्य के अंदर की इखट्टा आधा हाइड्रोजन चल चुका है । लेकिन सूर्य के अंदर बचा हाइड्रोजन अभी भी साढ़े 5 अरब सालो तक और चलेगा तब तक सूरज हमें रोशनी देता रहेगा ।


क्या आप जानते हैं कि सूर्य के कोर में स्थित तापमान के 1 सेकंड के प्रयोग से पूरे अमेरिका को अगले 38000 सालों तक बिजली की जरूरत नहीं पड़ेगी । सूरज की चमक भी आज साढ़े 4 अरब वर्ष की तुलना में 40 ज्यादा है।



 

By Sandeep Kumar | December 20, 2022, | Writer at Gurugrah_Blogs.

 









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