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नई भाषा सीखने के फायदे | Benefits of learning a new language In Hindi | Gurugrah





नई भाषा सीखने के फायदे | Benefits of learning a new language In Hindi | Gurugrah

नई भाषा सीखने के फायदे

आज की दुनिया में नई भाषा में प्रवीणता, जो संबंधित और परस्पर-निर्भर है, आपके कैरियर को सफलता की ऊँचाई पर ले जाने का एक बेहतरीन माध्यम है। चाहे आप एक नई नौकरी की तलाश कर रहे हों या अपनी महात्वाकांक्षाओं को बढ़ा रहे हों, एक नई भाषा सीखने का अवसर आपके अन्दर एक नई योग्यता को विद्यमान कर सकता है। इसलिए, हर बार जब आपको ऐसी ही कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़े, तो भाषा शब्दकोश या गूगल का सहारा न लें, बल्कि एक नई भाषा सीखने के निम्नलिखित लाभ प्राप्त करने के लिए स्वयं को एक नई भाषा से जोड़ें।


1. स्मरणशक्ति में सुधार

नई भाषा सीखना काफी कठिन है और इसके लिए हमें अपने दिमाग पर ज्यादा जोर डालने की जरूरत होती है। यह पूरी तरह से एक नई प्रणाली है जिसमें विभिन्न नियम, इतिहास और उसके मायने शामिल होते हैं, जिसे एक नौसिखिये को समझना होता है। नई भाषा का निर्माण नई शब्दावली और नियमों के साथ अपने आप को उसी में ढ़ालने और किसी अन्य से बात करते समय इनको शामिल करने से होता है।



2. बहु कार्यण में कुशलता

बहुभाषी कुशलता वाले लोगों को बहु कार्यण की कला का काफी ज्ञान होता है। आसानी से एक भाषा को दूसरी भाषा में बदलने की उनकी क्षमता उन्हें कार्यों को हल करने (जगलिंग टास्क) के प्रति आदी बनाती है। हालांकि बहु कार्यण मानव मस्तिष्क के लिए एक चुनौतीपूर्ण काम है, जो लोग अपने बहुभाषी कौशल में काफी कुशल होते हैं वे बहु कार्यण और समस्याओं को सुलझाने में काफी अच्छे होते हैं।



3. सांस्कृतिक प्रशंसा को बढ़ावा

एक नए भाषा पाठ्यक्रम के दौरान, आपको उस जगह के इतिहास के बारे में भी समझाया जाता है जहां आप भाषा सीख रहे होते हैं। यह आपको आपकी संस्कृति के बारे में बताता है कि कैसे यह भाषा अस्तित्व में आई। किसी अन्य भाषा में वार्तालाप जो धर्मों, संस्कृतियों और परंपराओं से संबंधित हो, सीखने वाले को उन सबका सामना करना पड़ता है। एक बार जब आप एक नई भाषा सीख लेते हैं, तो यह मूल स्थान के लिए सराहना करता है; करुणा, दृढ़ता, और स्वीकृति को प्रोत्साहित करता है; और संस्कृति के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्त करता है।



4. नवाचार को प्रोत्साहन

एक नई भाषा को सीखना, तर्कसंगत रूप से चीजों के बारे में सोचने और समस्याओं को हल करने, की आपकी क्षमता में सुधार करता है। ऐसा करके, आप एक ही समस्या के विभिन्न समाधानों को ढूंढ सकते हैं।


एक नई भाषा सीखना भी किसी जगह के रीति-रिवाजों और परंपराओं को समझने का मार्ग प्रशस्त करता है। लेकिन एक व्यक्ति को यह भी याद रखना आवश्यक है कि विभिन्न संस्कृतियों में एक ही शब्द का अलग-अलग प्रयोग किया जाता है।


5. लोगों से जुड़ना

अपनी स्वयं की भाषा के साथ लोगों से सम्पर्क बनाना आपको स्थानीय बनाता है फिर कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस जगह पर खड़े हैं। एक भाषा सीखना एक अद्भुत उपहार है जो आप अपने आप को दे सकते हैं। यह व्यक्तिगत और व्यावसायिक रूप से आपके सामाजिक सर्कल को बढ़ाता है, जो अधिक भाषाओं के साथ लोगों से जुड़ने में आपकी मदद कर सकता है।


तो अगली बार, नौकरी अवस्थापन के लिए जगह का चयन करते समय, केवल पेरिस या हो सके तो जापान को अपनी सूची से अलग न करें क्योंकि “आप उनकी भाषा जाने बिना वहां के लोगों से बातचीत और संपर्क कैसे बना पाएंगे?” इसके लिए आपको एक भाषा के पाठ्यक्रम को सीखने और एक बेहतरीन कैरियर के लिए हाँ कहने की जरूरत है।


6. कैरियर में प्रौढ़ता

एक नई भाषा का ज्ञान होना आपके कैरियर के लिए फायदेमंद हो सकता है जो आपको एक प्रकार की भाषा जानने वाले प्रतिद्वंद्वियों से अलग करता है। नौकरियों के लिए आवेदन करने के लिए एक अलग कौशल के रूप में एक नई भाषा की बढ़ती आवश्यकता के साथ, द्विभाषी कौशल वाले पेशेवरों की माँग काफी बढ़ रही है। आपके कैरियर की महत्वाकांक्षा चाहे जो भी हो, आपकी प्रोफ़ाइल में जुड़े नए भाषा कौशल के साथ, आप निश्चित रूप से उस भीड़ से आगे निकल सकते हैं।


7. अन्वेषण के लिए नए स्थान पर जाने का रास्ता साफ होना

यदि आप किसी जगह पर जाने से पहले उस जगह की भाषा को सीखने की कोशिश कर रहे हैं तो यह निश्चित रूप से आपकी यात्रा के मजे को किरकिरा कर देगी। द्विभाषी या बहुभाषी व्यक्ति बिना किसी डर के दुनिया के किसी भी कोने में यात्रा करने की स्वतंत्रता का आनंद ले सकता है। वह आसानी से बाहरी यात्रियों के साथ बातचीत में अपना तालमेल बिठा सकता है, उस जगह से जुड़ सकता है और वहां के लोगों के साथ बातचीत कर सकता है लेकिन यदि आप को कई भाषाओं का ज्ञान नहीं है तो आप ऐसा करने में असमर्थ हो सकते हैं।



8. आत्मविश्वास में वृद्धि

हालांकि, भाषाओं में, स्मरणशक्ति में सुधार करने और समस्याओं को हल करने, की क्षमता होती है और यह एक भाषा सीखने वाले के आत्मविश्वास के स्तर को बढ़ाती है। एक भाषा सीखते समय, एक व्यक्ति बहुत सारी गलतियां करता है लेकिन उसे हमेशा याद रखना चाहिए गलतियां सीखने की प्रक्रिया का ही एक हिस्सा हैं। गलतियां करने के बाद व्यक्ति को अपना मनोबल नहीं खोना चाहिंए। बल्कि व्यक्ति को उन गलतियों से सीख लेनी चाहिंए। यह आपको आरामदायक स्थिति से बाहर निकालने और लोगों के साथ अपनी मूल भाषाओं में बातचीत करने के बारे में है।



9. निर्णय लेने की क्षमता में प्रबलता

एक भाषा पाठ्यक्रम से गुजरने वाले या पहले से ही एक नई भाषा सीखे हुए व्यक्ति का निर्णय लेने का कौशल, एकभाषी व्यक्ति की तुलना में काफी मजबूत होता है। इसके अलावा सीखने की बुनियादी संरचना से, भाषा पाठ्यक्रम छात्रों को उस भाषा से अवगत कराते हैं जिस स्थिति में वह अपने निर्णय लेने की शक्ति का उपयोग करते हैं। वह किसी भी दबाब के बिना उस भाषा से संबंधित उन परिस्थितियों पर विचार-विमर्श करने की कोशिश करते हैं जो कि उसकी मातृभाषा नहीं होती है। जो उनके निर्णय लेने के कौशल को ज्ञानपूर्ण और विवेकशील बनाता है।


10. एक नए परिप्रेक्ष्य का लाभ

एक भाषा, जो सीखने वाले को, तथ्यों को गहराई से समझने की भावना, को प्रेरित करती है। जब कोई व्यक्ति एक नई भाषा और संस्कृति को सीखता और उसके बारे में जानकारी इकट्ठा करता है तो वह उसे उस चीज़ से अलग करने की कोशिश करता है जिसमें उसे सबसे ज्यादा ज्ञान होता है। यह प्रक्रिया एक व्यक्ति को उसकी संस्कृति के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं से परिचित कराती है। इससे या तो आप अपनी संस्कृति की सराहना के लिए अग्रसर होंगे या फिर हमारी धारणा को गलत साबित कर देंगे।


भाषा सीखने की प्रक्रिया

प्रत्येक मनुष्य अपनी बाल्यावस्था में कम से कम एक भाषा तो सीख ही लेता है जिसका वह जीवन भर प्रयोग करता है। वह उस भाषा की नवीन सामग्री, प्रयोगों और विकासशील रूपों से भी निरंतर परिचित होता चलता है और इस कारण उसकी भाषा की क्षमता भी विकसित होती चलती है।


भाषा सीखने की यह प्रक्रिया चाहें शैशवावस्था हो या बाद की अवस्था हो, मूलतः: एक ही है और वह है भाषा सुनने और बोलने का अवसर। बालक को यदि अपने परिवेश की भाषा सुनने तथा सुने हुए ध्वनि संकेतों को उच्चारित करने का पर्याप्त अवसर मिलता है तो वह भाषा सीख लेता है।


वस्तुत: भाषा सीखने का सर्व प्रमुख साधन है सीखी जाने वाली भाषा के बोलने वालों के बीच रहना, उनके द्वारा प्रयुक्त भाषा को सुनना, उस भाषा का अनुकरण करना अर्थात फार दी प्रैक्टिकल स्टडी ऑफ फोरेंन लैग्वेजेज में भाषा सीखने की इस प्रक्रिया पर विस्तार से प्रकाश डाला है।


भाषा एक आदत है और भाषा सीखना आदत निर्माण की प्रक्रिया है आदत डालने की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण होते हैं-

1. वनि संकेतों को सुनना और पहचानना-बालक घर में तथा आस-पड़ोस में लोगों के मुख से निस्तृत ध्वनि संकेतों को सुनता है और उनकी पहचान करने लगता है। पहले वह ध्वनियों को पहचानता है और फिर तत्संबंधी अर्थों (वस्तु, कार्य, विचार आदि) भी जानने का प्रयत्न करता है। भाषा सीखने का यह प्रथम चरण है। इस स्तर पर बालक को यदि शुद्ध मानक भाषा सुनने का अवसर मिलता है तो भाषा संबंधी अच्छी आदत की नींव पड़ती है।


2. अनुकरण करना:-बालक सुनी हुई भाषा का अनुकरण करता है वह ध्वनि संकेतों को पहचानता ही ही अपितु विभिन्न ध्वनियों का अंतर ही समझने लगता है और तद्नुसार उनका उच्चारण करने लगता है। प्रारंभ में वह उन ध्वनि संकेतों का अर्थ भली भांति नहीं जानता, पर उन्हें बोलने का प्रयास करता है और धीरे-धीरे अर्थ भी जानने लगता है।


3. आवृत्ति:- बालक को पुन: बोलने का अभ्यास कराना चाहिये। वस्तुत: बालक प्रयत्न और त्रुटि के सिद्धांत द्वारा भाषा सीखता है। उसका प्रारंभिक उच्चारण अशुद्ध होता है पर वह बार-बार प्रयत्न करके उसे शुद्ध करता है। वाक्य रचना संबंधी त्रुटियाँ भी होती रहती हैं वह शुद्धता का प्रयास करता रहता है। अत: कथन, पुर्नकथन, भाषा प्रयोग की आवृत्ति आदि भाषा सीखने के लिए आवश्यक साधन है।


4. विविधता:-आवृत्ति के साथ-साथ भाषा संबंधी प्रयोगों एवं अभ्यासों में विभिन्नता भी लानी चाहिये जिससे बालक विभिन्न ध्वनि संकेतों एवं तद्निहित अर्थो तथा प्रयोग संबंधी विभिन्नताओं की पहचान कर सके। इसके द्वारा ही उसकी भाषा की शक्ति का क्रमोत्तर विकास होता है।


5. चयन:-भाषा की कुछ क्षमता हो जाने पर बालक में यह योग्यता भी विकसित होनी चाहिये कि वह यथाप्रसंग एवं यथा अवसर उपयुक्त भाषा सामग्री का चयन और प्रयोग कर सके। विविध प्रकार की भाषा संबंधी अभ्यास इस दृष्टि से आवश्यक है।


भाषा और विकास

मानव जीवन के विकास में सबसे अधिक योगदान भाषा का ही रहता है। मानव एक सामाजिक प्राणी है उसे समाज में रह कर ही सारे काम पूरे करने पड़ते हैं वैसे ही उसे अपने मन के भावों, विचारों, अनुभवों आदि को दसू रों तक पहुँचाने के लिए तथा उनके विचारों आदि ग्रहण करने के लिए भाषा को ही माध्यम बनाना पड़ता है।


प्रकृति ने मानव को वाणी देकर ही उसे शेष सभी प्राणियों से श्रेष्ठ बना दिया है। सभी की अपनी भाषा होती है चाहे वह मानव हो या पशु-पक्षी । भाषा को वैचारिक आदान-प्रदान का माध्यम कहा जाता है भाषा के बिना मनुष्य सर्वथा अपूर्ण है और अपने इतिहास तथा परम्परा से विच्छिन्न है।


भाषा एक ऐसी प्रक्रिया है जो मानव जीवन में बहुत पहले आरंभ हो जाती है। नवजात बिना किसी भाषा के जन्म लेता है किन्तु मात्र 10 मास में ही बोली गयी बातों को अन्य ध्वनियों से अलग करने में सक्षम हो जाता है। विकास एक प्रक्रिया है जिसे मानवीय जीवन की शुरूआत में शुरू किया जाता है। शिशुओं का विकास भाषा के बिना शुरू होता है, फिर भी 10 महीने तक, बच्चे भाषण की आवाज को अलग कर सकते हैं और वे अपनी माँ की आवाज और भाषण पैटर्न पहचानने लगते हैं और जन्म के बाद अन्य ध्वनियों से उन्हें अलग करने लगते हैं।


भाषा विकास की प्रक्रिया

भाषा अर्जन जन्म के समय नहीं होता है, वरन् बच्चे के बाह्य जगत और आंतरिक मानसिक प्रक्रियाओं के बीच अन्त: क्रिया से विकास के माध्यम से होता है।


पहले सीखने वाले के मन में संज्ञानात्मक प्रक्रियाएं चल रही होती है। मनोविज्ञानी पियाजे,, ने विकासात्मक अवस्थाओं को उसी तरह स्पष्ट किया जिसमें बच्चे की तर्कसंगत विवेचन और अन्य संकल्पनात्मक क्षमताएं अंतनिर्हित होती है। ये बच्चे में भाषा प्रयोग में दिखाई देते हैं और वे बच्चे को भाषा में संरचना खोजने योग्य बनाते हैं, जिसे वह परिवेश से प्राप्त करता है।

स्लोबिन द्वारा किये गये अनुसंधान का परिणाम “अर्जन सिद्धांतों” अथवा प्रचालन सिद्धांतों के निर्माण में निम्न प्रकार हैं-

अर्थ:-बच्चा अंतनिर्हित अर्थ के लिए स्पष्ट संकेत ढूढ़ता है। लघुकृत या संपीडित रूप से पहले पूरा रूप यह दिखाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है, कि बच्चे के लिए पूरा अर्थ महत्वपूर्ण है। उदाहरणार्थ, बच्चा उसने जो पुस्तक पढ़ी के स्थान पर वह पुस्तक जो उसने पढी़ ‘Id’ के स्थान पर ‘I Would’ कहने को प्राथमिकता दते है।


रूपान्तरण:- (मॉडिफिकेशन)- बच्चे शब्दों के रूप में परिवर्तन को खोजते हैं: बच्चे मानते हैं कि शब्दों को उसके अर्थो में परिवर्तन लाने के लिए प्रणाली बद्ध तरीके से रूपान्तरित किया जाता है। यह देखने के लिए एक परीक्षण किया गया था कि अंगे्रजी भाषा का अर्जन करने वाले बच्चे तब क्या करते हैं जब उन्हें दो शब्द ‘Wug और Gutch’ दिये गये जो पशुओं के चित्रों के संकेत दे रहे थे।


क्रम:- (आर्डर) बच्चे शब्दों, प्रत्ययों, उपसर्गो का क्रम ढूढ़तें हैं, बच्चे सुसंगति का अनुसरण करते हैं कि शब्दों में, शब्दों के भागों का क्रम और वाक्यों में, शब्दों का क्रम है। बच्चे अंग्रेजी सीखने की विकास अवस्था में तत्वों जैसे ‘ed,talk,toy,the को गलत जगह रखते हैं। वास्तव में वे Articles बाद की अवस्था में अर्जित कर सकते हैं, इसलिए पिछली अवस्था में वे toy के बदले the toy कह सकते हैं परन्तु वे the toy के रूप में इसे अर्जित नहीं करेंगे।


नई भाषा सीखने के सिद्धांत

· रूचि जागृत करने का सिद्धांत – छात्र के लिए शिक्षण तब तक सफल नहीं हो पायेगा, जब तक वह उसमे रूचि नहीं लेगा। पहले दंड या अनुशासन के माध्यम से ज्ञानार्जन कि प्रेरणा दी जाती थी। किन्तु अब रूचि जागृत करने पर अधिक बल दिया जाता है, जिससे छात्र स्वेच्छा से, पूरा ध्यान केंद्रित कर शिक्षा ग्रहण करें। तभी वे पाठ्य वास्तु के सही उद्देश्य और मूल भाव को समझकर शिक्षण सफल बनाएंगे।


· प्रेरणा का सिद्धांत – यह भाषा अधिगम हेतु सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत है। रूचि, आवश्यकता और प्रयोजन शिक्षण में प्रमुख प्रेरक होते हैं। उद्देश्यहीन, प्रयोजन-रहित कार्य शिक्षण कार्य में शिथिलता उत्त्पन्न करते हैं। अतः हर संभव प्रयास द्वारा छात्रों को ज्ञानार्जन हेतु प्रेरित करना शिक्षक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।


· क्रिया द्वारा सिखाने (व्यावहारिक ज्ञान) का सिद्धांत – यह शिक्षण हेतु सबसे प्रभावी सिद्धांत है, जो छात्रों में रूचि और प्रेरणा भी जागृत करता है। इसके अनुसार जो भी बालक को सिखाया जाए, उसे बालक एक निष्क्रिय श्रोता नहीं, अपितु सक्रीय प्रतिभागिता द्वारा पूर्ण ध्यान केंद्रित करते हुए सीखने का प्रयास करता है।



Gurugrah

 

By Chanchal Sailani | January 17, 2023, | Editor at Gurugrah_Blogs

 





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