डायनासोर –
जिसका अर्थ यूनानी भाषा में बड़ी छिपकली होता है लगभग 16 करोड़ वर्ष तक पृथ्वी के सबसे प्रमुख स्थलीय कशेरुकी जीव थे। यह ट्राइएसिक काल के अंत (लगभग 23 करोड़ वर्ष पहले) से लेकर क्रीटेशियस काल (लगभग 6.5 करोड़ वर्ष पहले), के अंत तक अस्तित्व में रहे, इसके बाद इनमें से ज्यादातर क्रीटेशियस -तृतीयक विलुप्ति घटना के फलस्वरूप विलुप्त हो गये।
“डायनासोर” शब्द को 1842 में सर रिचर्ड ओवेन ने गढ़ा था और इसके लिए उन्होंने ग्रीक शब्द δεινός (डीनोस) “भयानक, शक्तिशाली, चमत्कारिक” + σαῦρος (सॉरॉस) “छिपकली” को प्रयोग किया था। बीसवीं सदी के मध्य तक, वैज्ञानिक समुदाय डायनासोर को एक आलसी, नासमझ और शीत रक्त वाला प्राणी मानते थे, लेकिन 1970 के दशक के बाद हुये अधिकांश अनुसंधान ने इस बात का समर्थन किया है कि यह ऊँची उपापचय दर वाले सक्रिय प्राणी थे।
डायनासोर का जन्म कैसे हुआ –
वैज्ञानिक पूरी तरह से इस बात पर सहमत नहीं हैं कि उस समय क्या हुआ था? लेकिन डायनासोरों के विलुप्त होने की संभावना एक डबल या ट्रिपल व्हैमी है। यानी अलग-अलग वैज्ञानिकों में इसके अलग-अलग मतभेद है। इनमें सबसे पहला और प्रभावशाली मत क्षुद्रग्रह का धरती से टकराना, दूसरा ज्वालामुखियों के फटने से रसायन का वितरण और तीसरा जलवायु परिवर्तन होना है।
जीवाश्मों से पता चलता है कि आज धरती पर पाए जाने वाली पक्षी थेरोपोड डायनासोरों से विकसित हुए थे। यह उस समय धरती पर हुई तबाही से बचने वाला एकमात्र डायनासोर वंश था। इसलिए डायनासोर को एवियन डायनासोर या पक्षियों में विभाजित किया गया। पक्षियों के अलावा विलुप्त सभी डायनासोर गैर-एवियन डायनासोर हैं।
तो आइए जानते हैं की इस धरती पर डायनासोर का जन्म कैसे हुआ था?
जमीन पर जीवन की शुरुआत –
पृथ्वी पर पानी में जीवन की शुरुआत आज से 3.5 अरब वर्ष पहले शुरू हो गई थी। लेकिन जमीन पर जीवन की शुरुआत होने में बहुत समय लगा। हालाँकि जमीन पर जीवन की शुरुआत, पानी में रहने वाले जीवों से ही हुई थी। इसे समझने के लिए हमें समय में पीछे जाना होगा।
आज से 37.5 करोड़ वर्ष पहले पानी में एक नई प्रजाति का जन्म हुआ। यह एक Strange Fish (मछली की एक प्रजाति) थी, इस मछली का नाम ‘Tiktaalik’ था। यह समय के साथ पानी में विकसित होती गई। इस विकासक्रम के दौरान इस मछली के मजबूत पैर विकसित हुए।
Tiktaalik ने सबसे पहले अपनी गर्दन के सहारे जमीन पर आना सीखा। इसके पैर काफी मजबूत और चलने योग्य थे, जिसने इसे जमीन पर आने में मदद की। जमीन पर जीवन की शुरुआत का यह सबसे महत्वपूर्ण पल था।
इसने अपने 1.5 करोड़ वर्षों के विकासक्रम के बाद अपने शरीर के अंग और मजबूत किए, जिससे यह अब जमीन पर ज्यादा वक्त बिताने लगा। जिससे जमीन पर जीवन धीरे-धीरे फैलने लगा। जमीन पर रहने वाले यह जीव आज से 36 करोड़ साल पहले Tiktaalik से Tetrapods में विकसित हुए और इन्होने जमीन को अपना घर बनाया।
Tetrapods चार पैरों वाले जानवर थे। जो आगे जाकर डायनासोर, पक्षियों, स्तनधारियों और इन्सानों में परिवर्तित हुए। उस समय धरती पर विशालकाय पेड़-पौधे हुआ करते थे, जो आकार में 100 फीट तक ऊंचे थे।
वक्त के साथ यह पेड़-पौधे धरती के हर क्षेत्र में विकसित होने लगे। जिससे धरती पर विशाल जंगल बनने लगे, इन जंगलों से भारी मात्रा में ऑक्सिजन उत्पन्न होने लगी। ऑक्सिजन की प्रचूर मात्रा से पृथ्वी का वातावरण आज के जैसा हो गया था।
समय के साथ धरती पर एक जीव ड्रैगनफ्लाई विकसित हुआ। इसका नाम Mega Nuro है, यह उस समय एक कीड़े से विकसित हुआ था। आकार में यह वर्तमान समय में पाए जाने वाले बाज जितना बड़ा था। इसने अपने पैरों को पंखों के रूप में परिवर्तित किया और यह कई लाख सालों के विकासक्रम के बाद हवा में उड़ने लगा।
वक्त के साथ यह जीव जमीन पर अंडे देने लगे, इस घटना से धरती पर स्तनधारी जीवों का जन्म हुआ। उस समय पृथ्वी का ऑक्सिजन स्तर बहुत ऊंचा था, इस कारण जीवों का आकार काफी बड़ा होने लगा। धीरे-धीरे जमीन पर छोटे से लेकर बड़े जीवों की असंख्य प्रजातियाँ विकसित होने लगी।
सैकड़ों साल तक चलता रहा ज्वालामुखी विस्फोट –
जब ट्राइऐसिक काल समाप्त हुआ तो एक लाख साल की अवधि में ही पृथ्वी पर जमीन पर रहने वाले और समुद्री जीवों के तीन चौथाई जीव खत्म हो गए। कछुए और बिल में रहने वाले कुछ स्तनधारी जीव बच गए। लेकिन किसी को नहीं पता कि उस समय तबाही कैसे मची थी। वैज्ञानिकों की थ्योरी है कि ज्वामुखी विस्फोट के कारण ऐसा हुआ। ये विस्फोट ऐसा था जो सैकड़ों वर्षों तक चलता रहा। यही वह समय था जब महाद्वीप टूटने लगे थे। एक स्टडी में कहा गया है कि इस तबाही के बाद से ही डायनासोर ने धरती पर कब्जा जमा लिया।
पृथ्वी का बूरा वक्त –
डायनासोर का जन्म कैसे हुआ – लेकिन आज से तकरीबन 30 करोड़ वर्ष पहले धरती का बुरा वक्त शुरू होने लगा। धरती के वायुमंडल में अन्तरिक्ष से चट्टानों की बरसात होने लगी। जिससे धरती की कोर गर्म हो गई, इस गर्मी के कारण पेड़-पौधे पूरी तरह से नष्ट हो गए। वायुमंडल में CO2 की मात्रा बढ़ने लगी।
अब धरती पूरी तरह वीरान हो चुकी थी, जमीन पर जीवन न के बराबर था। आज से 25 करोड़ वर्ष पहले इस धरती की एक वीरान जगह Siberia में बड़े जीव विकसित हुए। इनमें से एक Scooter Saur जो दिखने में आज के कछुए जैसा था। लेकिन यह आकार में काफी बड़ा था।
इतिहास में विकासक्रम का यह सबसे अनोखा समय था, क्योंकि इस समय में छोटी-छोटी छिपकलियों से बड़े-बड़े स्तनधारियों का जन्म हुआ। इसी समय के दौरान एक मांसाहारी जीव Gorgonopsids का उद्भव हुआ। यह दिखने में दुनिया की सबसे बड़ी छिपकली कमोडो ड्रैगन जैसा था, परंतु इसका आकार विशालकाय था।
यह प्रागैतिहासिक काल की सबसे खतरनाक “मांसभक्षी” थी। इसके बड़े-बड़े और जहरीले दाँत थे, इस कारण यह अपने शिकार को सबसे पहले काटता था। फिर उसका पीछा कर उसके मरने का इंतज़ार करता था।
कैसे डायनासोर ने जमाया कब्जा –
तबाही के दौरान ज्वालामुखी का धुआं वायुमंडल में फैला जिसके कारण पूरी धरती ठंडी हो गई। ध्रुवों पर होने वाली ठंड निचले अक्षांशों में भी फैलने लगी। इस कारण ठंडे खून वाले सरीसृप मारे गए। कोलंबिया विश्वविद्यालय के लैमोंट-डोहर्टी अर्थ ऑब्जर्वेटरी के भूविज्ञानी और शोध के प्रमुख लेखक पॉल ओल्सन का कहना है कि ट्रायासिक काल के दौरान भी डायनासोर मौजूद थे। उनके धरती पर राज करने का कारण बहुत सरल है। क्योंकि वे मूल रूप से ठंड के प्रति अनुकूल थे। जब हर जगह ठंड हो गई तो वे उसके लिए तैयार थे, लेकिन बाकी जीव तैयार नहीं थे।
डायनासोर के प्रकार प्रजाति के नाम –
अभी तक वैज्ञानिको ने 2000 से भी ज्यादा डायनोसॉरस के प्रजातियों का पता लगाया है। वैज्ञानिको को दुनिया के हर एक हिस्सों मे डायनोसॉरस के अवशेष मिले है, उनके अनुसार डायनोसॉरस के लगभग 14 से 15 करोड़ साल राज किया होगा।
डायनासोर की प्रजाति –
डायनासोर के प्रजातियों का अस्तित्व लगभग सात करोड़ साल पहले एक भयंकर बड़ी दुर्घटना से ख़तम हो गया। मगर कुछ वैज्ञानिको के रिसर्च की वजह से हमें इन डायनासोर की प्रजातियां का पता चला है उन डायनासोर के नाम निचे दिए है:
· Tyrannosaurus/ T-Rex – टायरानोसॉरस /टी रेक्स
· Triceratops – ट्रीसिराटप्स
· Apatosaurus/Brontosaurus – अपेटोसॉरस
· Giganotosaurus – जिगानोटोसॉरस
· Spinosaurus – स्पायनोसॉरस
· Allosaurus – एलोसोरस
· Velociraptor – वेलोसिरेप्टर
· T-Rex – टायरानोसॉरस /टी रेक्स –
टायरानोसॉरस दुनिया के उन हिस्सों में रहते थे, जहा पर अभी दक्षिणी और पश्चिमी अमेरिका है। टायरानोसॉरस की लम्बाई 13 से 14 मीटर तक रह सकती है और उनका वजन 7 से 8 टन तक हो सकता है।
टायरानोसॉरस आज से 65 लाख साल पहले क्रिटिशियस काल में हुवा करते थे। उनके दौडनेकी की रफ़्तार 20 से 70 किलोमीटर प्रति घंटा रह सकती है और ओ अपने विशाल सिर और लंबी पुंछ से अपने शरीर का संतुलन बनाये रखते थे। टायरानोसॉरस डायनासोर मासाहारी जिव थे और उन्हें “टी-रेक्स” के नाम से भी जाना जाता है।
· ट्रीसिराटप्स –
Triceratops डायनासॉरस को तीन सिंग वाले सर की वजह से उसे ट्रीसिराटप्स नाम रखा गया है। ये डायनोसॉरस की प्रजाति हमेशा झुंड में रहते थे, इन डायनोसॉरस के अवशेष पश्चिमी और उत्तरी अमेरिका में पाये गये है।
Triceratops एक बहुत भारी बड़े और एक शाकाहारी डायनोसोरस थे, और ये डायनासॉरस 7 करोड़ साल पहले क्रिटिशियस युग के अंत तक थे।
· अपेटोसॉरस –
अपेटोसॉरस एक विशाल डायनासॉरस था, जिसे ब्रॉन्टोसोरस भी कहते है। इस डायनासॉरस के अवशेष 1877 में “चार्ल्स मार्श” ने खोजी थी। इस डायनासॉरस की लंबाई 20 से 25 मीटर तक हो सकती है और वजन 20 से 25 टन तक हो सकता है। Apatosaurus/Brontosaurus यह डायनासॉरस दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा प्राणी था और ये डायनासॉरस शाकाहारी थे।
अपटोसॉरस को अपने पूर्ण आकार में आने के लिये 10 से 11 साल लगते है। इस डायनासॉरस की लंबी पुंछ होती थी, जो की उसकी लंबी गर्दन को संतुलन बनाये रखती थी। ये डायनासॉरस जुरासिक काल में आज से 15 करोड़ साल पहले हुवा करते थे।
· जिगानोटोसॉरस –
जिगानोटोसॉरस आकार में टी-रेक्स डायनासॉरस से भी बड़े डायनासॉरस थे और ओ अपने दो पैरो पे चलते थे। उनका वजन 12 से 13 टन तक हो सकता है और उनके दौडनेकी रफ़्तार 16 से 20 किलोमीटर प्रति घंटा थी। इनकी खोपड़ी बहोत बड़ी होने के बावज़ूद ये डायनोसोरस तेज दौडनेके साथ साथ अपने शरीर का संतुलन बनाये रखते थे।
जिगानोटोसॉरस बहुत ही होशियार शिकारी थे, ओ अपने शिकार के गंध को बहोत ही दूर से और गहराई से सुंग लेते थे। इनका जीवाश्म 1993 में मिला था।
· स्पायनोसॉरस –
स्पायनासॉरस बहोत ही बड़े डायनोसॉरस थे, जिसकी लंबाई 12 से 15 मीटर तक और उनका वजन 10 से 12 टन तक हो सकता था। शायद ये डायनासॉरस बहोत ही बड़े मासाहारी डायनासॉरस थे।
स्पायनासॉरस का नाम उनकी विशाल पिठ से हो सकता है, जो उनके शरीर के उपर बहोत बड़ी पीठ है जिसकी लंबाई 1.5 से 2 मीटर तक हो सकती है। ये डायनोसोरस दो पैरो पे चलते थे और आ अपने चारों पैरो का इस्तेमाल करके नीचे झुक कर भी अपना शिकार कर सकते थे।
· एलोसोरस –
एलोसोरस एक मासाहारी डायनासॉरस था, जिसके तेज और लंबे दांत थे। एलोसॉरस के जीवाश्म अमेरिका में पाये गये है। एलोसॉरस आज से 15 करोड़ साल पहले जुरासिक काल में हुवा करते थे, एलोसोरस का वजन 2 से 3 टन तक हो सकता है और लंबाई 8 से 9 मीटर तक हो सकती है।
एलोसॉरस की खोपड़ी बहुत ही बड़ी थी और ओ अपनी पुंछ से शरीर और सिर का संतुलन बनाये रखता था। इनके जीवाश्म पश्चिमी अमेरिका में पाए गए थे।
· वेलोसिरेप्टर –
वेलोसिरेप्टर आज से 70 लाख साल पहले क्रिटिशियस काल में हुवा करते थे। वेलोसिरेप्टर की लंबाई 2 से 2.5 मीटर तक हो सकती है और ऊचाई 0.5 से 1 मीटर तक हो सकती है। वेलोसिरेप्टर का वजन 15 से 25 किलो तक हो सकता है। सबसे पहले वेलोसिरेप्टर का जीवाश्म 1922 में “मंगोलियन गोबी मरुस्थल” में मिला था।
वेलोसिरेप्टर एक बहोत ही चालाक शिकारी था, उनका शिकार करने का तरीका बहुत ही ज़बरदस्त था, वो अपने शिकार को पैरो के पंजो से वार कर के शिकार को घायल करता था।
डायनासोर का अंत –
डायनासोर का अंत एक बहुत बड़े ऐस्टरॉइड के धरती से टकराने से हुआ था. एक बात जो बीबीसी डाक्यूमेंट्री में सामने आई है की अगर यह ऐस्टरॉइड धरती से 30 सेकंड पहले या 30 सेकंड बाद भी टकराते तो डायनासोर शायद ख़त्म ही नहीं होते और यह ऐस्टरॉइड अटलांटिक या प्रशांत महासागर के गहरे पानी में गिरता. ऐसा इसलिए क्योंकि इस समय इसका असर जमीनी भूभाग पर इतना कम होता की डायनासोर को कोई नुकसान नहीं पहुँचता।
यह ऐस्टरॉइड मेक्सिको के युकटॉन प्रायद्वीप से टकराया था जिस वजह से उस जगह 111 मील चौड़ा और 20 मील गहरा गड्ढा बन गया था. जब वैज्ञानिकों द्वारा इस गड्ढे की जांच हुई तो वहां की चट्टान में सल्फर कम्पाउन्ड पाया गया. ऐस्टरॉइड के चट्टान से टकराने के बाद यह चट्टान धुल में परवर्तित हो गयी जिससे हवा में धुल का बादल बन गया था. इसके परिणामस्वरूप पूरी धरती ठंडी हो गई और पूरे एक दशक तक इसी स्थिति में रही. इन सभी कारणों से लगभग उस समय जितने भी जीव थे सभी की म्रत्यु हो गयी।
By Chanchal Sailani | January 09, 2023, | Editor at Gurugrah_Blogs.
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