घर्षण –
घर्षण क्या है –
यदि किसी स्थिर ठोस वस्तु पर कोई दूसरी ठोस वस्तु इस तरह से रखी जाती है कि दोनों समतल पृष्ठ एक-दूसरे को स्पर्श करते है, तो इस दशा में दूसरी वस्तु को पहली वस्तु पर खिसकने के लिए बल लगाना पड़ता है l इस बल का मान एक सीमा से कम होने पर दूसरी वस्तु पहली वस्तु पर नहीं खिसक सकती है l इस विरोधी बल को घर्षण (Friction) कहते है l
घर्षण एक बल है जो दो तलों के बीच सापेक्षिक स्पर्शी गति का विरोध करता है। घर्षण बल का मान दोनों तलों के बीच अभिलम्ब बल पर निर्भर करता है।
घर्षण के दो प्रकार हैं: स्थैतिक घर्णण और गतिज घर्षण। स्थैतिक घर्षण दो पिण्डों के संपर्क-पृष्ठ की समान्तर दिशा में लगता है, लेकिन गतिज घर्षण, गति की दिशा पर निर्भर नही करता।
घर्षण का कारण –
सामान्यतः कोई सतह पूर्णतया चिकनी नहीं होती, अपितु उसमें अति अल्प परिमाण के उठाव और गड्ढे होते हैं। इनको अच्छे सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखा जा सकता है। अत: जब ऐसी दो सतहें एक दूसरे को स्पर्श करती हैं, तो एक सतह के उठाव दूसरी सतह के गड्ढों में फँस जाते हैं। इस अवस्था में एक सतह को दूसरी सतह पर खिसकाने के लिये बल लगाने पर सतह की बनावट में विकृत उत्पन्न हो जाती है। इसी के अनुरूप पदार्थो की प्रत्यास्थता के कारण प्रयुक्त बल की विरुद्ध दिशा में प्रतिबल कार्य करता है, जिसे घर्षणबल कहते हैं।
घर्षण के उपयोग –
हमारे दैनिक जीवन में घर्षण का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। पृथ्वी की सतह पर चलनेवाले प्रत्येक वाहन की गति सतह तथा वाहन के आधार के बीच घर्षणबल द्वारा ही सम्भव है। अतः घर्षण गति बाधक तथा साधक दोनों ही है। धारुक और स्नेहकों के व्यवहार में भी घर्षण का प्रमुख स्थान है।
घर्षण का परिमाण –
किसी ठोस पदार्थपिंड को ठोस सतह पर विस्थापित करने के लिये स्पर्श सतह के समांतर बल प्रयुक्त करना होता है। यदि प्रयुक्त बल एक निश्चित परिमाण (चरम घर्षणबल) से कम हुआ, तो पदार्थपिंड विस्थापित नहीं होता और यदि अधिक हुआ तो निश्चित वेग से विस्थापित होता है। ऐसा स्पर्श करनेवाली सतहों के बीच घर्षण के कारण होता है, जिससे तात्पर्य यह है कि ठोस पदार्थपिंड पर स्पर्श सतह के समांतर प्रयुक्त बल की विरुद्ध दिशा में एक बल कार्य करता है, जिसे घर्षण बल कहते हैं। घर्षण बल का कारण सतहों का खुरदुरापन होता है।
विस्थापन से पूर्व (जब पिण्ड स्थिर हों) घर्षणबल प्रयुक्त बल के बराबर होता है, जिसे स्थैतिक घर्षण कहते है। विस्थापन के लिये प्रयुक्त बल कम से कम इतने परिमाण का होना चाहिए कि विकृति चरम प्रत्यास्थता से अधिक हो। विस्थापन के लिये आवश्यक इस न्यूनतम बल के परिमाण को चरम घर्षणबल कहते हैं।
चरम घर्षणबल (Fa) तथा दोनो सतहों के बीच अभिलंबी दाब (P) में निम्नलिखि संबंध होता है :
Fa = b1 P
जबकि (b1) स्थैतिक धर्षणस्थिरांक कहलाता है। इसका मान पदार्थपिंड को सतह पर रखकर सतह पर रखकर सतह का न्यूनतम झुकाव कोण (q), जिसपर पदार्थपिंड फिसलन प्रारंभ करे, ज्ञात करके मालूम कर सकते हैं। इस कोण को घर्षणकोण कहते हैं। घर्षणकोण की स्पर्शज्या ही परिमाण में स्थैतिक घर्षणस्थिरांक के बराबर होती है, अर्थात्
B1 = tan q
गति के समय भी पदार्थपिंड पर घर्षणबल कार्य करता है। इसका परिमाण मुख्यतया विस्थापन के प्रकार पर निर्भर करता है। एक ठोस पदार्थपिंड को ठोस सतह पर खिसकाकर या लुढ़काकर ही विस्थापित कर सकते हैं; अत: इन्हीं दो विस्थापन प्रकारों के अनुसार निम्नांकित दो प्रकार के गतीय घर्षण होते हैं।
1– विसर्पी (sliding) घर्षण
2– लुंठन (rolling) घर्षण
दोनों प्रकार की गतियों के लिये घर्षणबल का परिमाण निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है :
Fb = bc x P
जबकि (Fb) घर्षणबल, (P) सतह पर अभिलंबी दाब तथा (bc) गतिज घर्षण स्थिरांक है, जिसका मान दोनों सतहों पर निर्भर करता है। सतहों की लघु सापेक्ष गति के लिये कग का मान गति के परिमाण पर निर्भर नहीं करता। परंतु जब गति का परिमाण क्रांतिक वेग (critical velocity) से अधिक हो जाता है, तो वेग की वृद्धि के साथ साथ कग का मान होता जाता है। कग का मान लुंठन तथा सर्पण (rolling and sliding) गतियों के लिये भिन्न भिन्न होता है।
घर्षण गुणांक –
स्थैतिक घर्षण गुणांक दो वस्तुओं के सापेक्ष गति प्रवृत्ति है, लेकिन एक दूसरे के सापेक्ष चलते समय कोई घर्षण गुणांक नहीं होता है, जिसे आमतौर पर प्रतीक μ0 द्वारा इंगित किया जाता है।
घर्षण गुणांक = घर्षण बल /hh सामान्य बल
Μ = F / η
जहा
Μ = घर्षण गुणांक
F = घर्षण बल
Η = सामान्य बल
कुछ पदार्थों के घर्षण-गुणांक –
स्थैतिक घर्षण | | | |
इसके बीच (पदार्थ) | सूखा और साफ | स्नेहित (Lubricated) | |
अलुमिनियम | इस्पात | 0.61 | - |
ताँबा | इस्पात | 0.53 | |
पीतल | इस्पात | 0.51 | |
Cast iron | Copper | 1.05 | |
Cast iron | Zinc | 0.85 | |
कंक्रीट | रबड़ | 1.0 | 0.30 (wet) |
कंक्रीट | काष्ठ | 0.62[1] | |
ताँबा | काच | 0.68 | |
काच | काच | 0.94 | |
धातु | काष्ठ | 0.2–0.6 | 0.2 (wet)[1] |
पॉलीथीन | Steel | 0.2[2] | 0.2[2]
|
ईस्पात | ईस्पात | 0.80[2] | 0.16[2]
|
ईस्पात | (टेफ्लॉन) | 0.04[2] | 0.04[2] |
PTFE | PTFE | 0.04[2] | 0.04[2] |
काष्ठ | कष्ठ | 0.25–0.5 | 0.2 (wet) |
By Chanchal Sailani | January 17, 2023, | Editor at Gurugrah_Blogs
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